'Waterman of India' Dr. Rajendra Singh meet students of Prince Education Hub
Dr. Rajendra Singh, honored with Ramon Magsaysay and Stockholm Water Prize, came face to face with the students of Prince.
The message of water conservation and environmental protection...
Honored with international awards like Ramon Magsaysay Award and Stockholm Water Prize and known as Waterman of India, Dr. Rajendra Singh interacted with the students of Prince Education Hub located in Sikar.
In this seminar, which lasted for about one and a half hours, Dr. Rajendra Singh spoke on drought and flood, water conservation, dams, importance of trees and plants, etc. by linking them with social and economic activities. He said that citizens of drought-prone countries are seen as climate refugees abroad but there is no such attitude towards Indian citizens because India has water.
Mentioning his life journey, he said that those who spread awareness towards environmental protection are seen as mad in the beginning, but with time people get support and big changes are seen. Through PPT presentation, Dr. Rajendra Singh showed the radical change in the environment of those areas 30-35 years ago and today through the steps taken for water conservation in different geographical areas.
During the seminar, he also had a question and answer session with the students, in which the students participated enthusiastically. Renowned doctor of the city and Dr. V.K. Jain attended as a special guest. Prince Ezuhub Director Jogendra Sunda, Chairman Dr. Piyush Sunda, Managing Director Brigadier Bibi Janu, Dr. Rajendra Singh and Dr. V.K. Jain was honored by giving a bouquet and memento.
Dr. Piyush Sunda
(Chairman)
रैमन मैग्सेसे एवं स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित डा. राजेन्द्र सिंह हुए प्रिंस के विद्यार्थियों से रूबरू. जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश...
रैमन मैग्सेसे अवार्ड तथा स्टॉकहोम वाटर प्राइज जैसे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित एवं वाटरमैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध डा. राजेन्द्र सिंह सीकर स्थित प्रिंस एजुकेशन हब के विद्यार्थियों से रूबरू हुए।
लगभग डेढ़ घंटे चले इस सेमिनार में डा. राजेन्द्र सिंह ने सूखा एवं बाढ़, जल संरक्षण, बांध, पेड़-पौधों के महत्व आदि को सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़कर संवाद किया। उन्होंने कहा कि सूखाग्रस्त देशों के नागरिकों को विदेशों में क्लाइमेट रिफ्यूजी के रूप में देखा जाता है लेकिन भारतीय नागरिकों के प्रति ऐसा रवैया नहीं है क्योंकि भारत के पास पानी है।
उन्होंने अपनी जीवन यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने वालों को शुरुआत में पागल के तौर पर देखा जाता है लेकिन समय के साथ आमजन का साथ मिलता है और बड़े परिवर्तन देखने को मिलते हैं। डा. राजेन्द्र सिंह ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में जल संरक्षण हेतु उठाये गये कदमों द्वारा तीस-पैंतीस वर्ष पहले एवं आज के दिन उन क्षेत्रों के पर्यावरण में हुए आमूलचूल परिवर्तन को पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया। सेमिनार के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से प्रश्नोत्तर संवाद भी किया जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम में शहर के जाने माने चिकित्सक एवं पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे डा. वी.के. जैन बतौर विशिष्ट अतिथि शरीक हुए। प्रिंस एजुहब निदेशक जोगेंद्र सुंडा, चेयरमैन डा. पीयूष सुण्डा, प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर बीबी जानू ने डा. राजेन्द्र सिंह एवं डा. वी.के. जैन का पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
डा. पीयूष सुण्डा
(चेयरमैन)